Madhyamaheshwar Temple in Hindi पंच केदार में से एक है मध्यमहेश्वर मंदिर

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madhyamaheshwar temple in hindi मध्यमहेश्वर मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। जो पंच केदार मंदिरों में से एक है | यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इसलिए यह मंदिर हिंदू घर्म के लोगो के लिए बहुत महत्त्व रखता है |

Madhyamaheshwar Temple in Hindi पंच केदार में से एक है मध्यमहेश्वर मंदिर

मध्यमहेश्वर मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,497 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। कहा जाता है | कि इसका निर्माण महाभारत काल के समय पांडवों ने करवाया था।

मंदिर में नाभि के आकार के शिवलिंग के रूप में भगवान शिवजी समर्पित हैं। महाभारत काल के दौरान जब पांडवों ने कुरुक्षेत्र युद्ध में अपने भाई करावो को मरा  था | तो इन पापों से मुक्त होने के लिए भगवान शिव के सारण में गए थे।

ऊखीमठ से लगभग 21 किलोमीटर की ऊंची चढ़ाई करने बाद ही आप मंदिर तक पहुँचा सकते है। ट्रेक करते समय आप घने जंगलों, पहाड़ी इलाकों और हिमालय के मनोरम दृश्यों का आनंद ले सकते हो। मौसम के अनुसार पर्यटक अप्रैल अंत से नवंबर के बीच में आते है। हालाकिं मंदिर 6 महीने खुला रहता है | madmaheshwar opening date 2023

मध्यमहेश्वर मंदिर का इतिहास बारे में  | History of Madhyamaheshwar Temple

मध्यमहेश्वर मंदिर का इतिहास प्राचीन पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। क्योंकि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है | कि महाभारत काल के युद्ध के बाद पांडवों ने हिमालय में अपने रुकने के दौरान मंदिर का निर्माण किया था। madmaheshwar temple story

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पुरानी कथाओं के अनुसार कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद, पांडवों ने युद्ध के समय किए गए पापों से खुद को मुक्त करने के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए । पांडवों ने शिवजी को खोजना शुरू कर दिया | तो भगवन शिव पांडवों से छुपकर बैल के रूप लेकर में केदार घाटी में चले जाते हें | madmaheshwar panch kedar

लेकिन भीम भगवन शिव  बैल के रूप में पेहचान लेते है | जब भीम शिव पकड़ने के लिए जाते है | तो शिव धरती में सामने लगते है | तभी भगवन शिव के पांच अलग-अलग हिस्सों में भीवाजित हो जाते है। उन में से एक मध्यमहेश्वर मंदिर है | जहां भगवान शिव की नाभि प्रकट हुई थी। इसलिए मध्यमहेश्वर मंदिर को पंच केदार के रूप में जाना जाता है |

इस मंदिर पुननिर्माण का कार्य 19वीं सदी की शुरुआत में मराठा शासक जयंत राव सिंधिया कराया था। 1960 के, भूकंप से मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया था | उसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा बहाल कर दिया गया था। madmaheshwar temple story in hindi

आज, मध्यमहेश्वर मंदिर भगवान शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बना हुआ है। मंदिर हर साल हजारों आगंतुकों को आकर्षित करता है जो भगवान शिव का आशीर्वाद लेने और हिमालय की आध्यात्मिक और प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव करने के लिए आते हैं |

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  मद्महेश्वर घूमने का सबसे अच्छा समय |Best Time to Visit Madmaheshwar Temple

मध्यमहेश्वर मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय मई से जून के बीच का माना जाता है | क्योंकि इस समय के दौरान, मौसम सुहावना और सुखद रहता है | और इस समय मंदिर तक जाने का मार्ग साफ दिखाई देता है | इस समय प्राकृतिक सुंदरता को देखने का मौका मिलता है।

क्योंकि गर्मियों के महीनों में, तापमान लगभग 10°C से 20°C के बीच रहता है | बारिश के समय और भूस्खलन के कारण मंदिर तक जाने का मार्ग तोड़ा मुश्किल होता है। madmaheshwar temple ghumane ka time 

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मध्यमहेश्वर के पास घूमने के शीर्ष स्थान |  Top Places to Visit Near Madhyamaheshwar Temple

केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple) – केदारनाथ मंदिर हिंदू धर्म के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है | जो मध्यमहेश्वर से लगभग 43 किमी दूर है। यह मंदिर भगवान शिवजी को समर्पित है | और पंच केदार मंदिरों में से एक है। madmaheshwar me ghumne ki jagah

तुंगनाथ मंदिर (Tungnath Temple) – तुंगनाथ मंदिर दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिरो में से एक है | यह मंदिर मध्यमहेश्वर से लगभग 54 किमी की दूरी पर है। यह मंदिर भी पंच केदार में से एक है | इस मंदिर से हिमालय पर्वतमाला के शानदार दृश्य देखने को मिलते है।

देवरिया ताल (Deoria Tal) – देवरिया ताल मध्यमहेश्वर से लगभग 50 किमी दूर एक प्राचीन झील है। यह झील हिमालय से बर्फ से ढकी चोटियों के सूंदर दृश्य प्रस्तुत करती है | इस झील के पास आप ट्रेकिंग और कैम्पिंग का आनंद ले सकते है।

चंद्रशिला (Chandrashila) – मध्यमहेश्वर से लगभग 67 किमी की दूरी पर चंद्रशिला पर्वत शिखर स्थित है।

औली (Auli) – औली से मध्यमहेश्वर लगभग 85 किमी की दूरी पर स्थित है। औली एक संदर हिल स्टेशन है | जहाँ से आपको हिमालय पर्वतमाला के शानदार दृश्य देखने को मिलते है | औली में आप स्कीइंग और अन्य एक्टिविटी कर सकते है।

बद्रीनाथ मंदिर (Badrinath Temple) – बद्रीनाथ मंदिर चार धाम में से एक है | यह मंदिर मध्यमहेश्वर से लगभग 122 किमी दूर स्थित है। बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु देवता को समर्पित है।

फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (Valley of Flowers National Park) – फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में भी शामिल है | जो मध्यमहेश्वर से 150 किमी दूर है। यह घाटी फूलों की प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है ।

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मध्यमहेश्वर में कहाँ रुके |  Where to Stay in Madhyamaheshwar Temple

मध्यमहेश्वर मंदिर के पास एक छोटा सा गांव है | लेकिन यहां रुकने के लिए ज्यादा विकल्प नहीं हैं। हालाँकि, गाँव में कुछ गेस्टहाउस होटल बने हुऐ हैं | यहाँ आपको  कमरे, गर्म पानी और भोजन जैसी सुविधा मिल जाएगी हैं। madmaheshwar kaha ruke

मध्यमहेश्वर मंदिर के पास आपको GMVN गेस्ट हाउस मिल जायेंगे | जो सरकार द्वारा संचालित है। जिनका एक दिन का किरया 500 से 1000 रूपये के बीच में होता है | इसमें आपको रजाई और गद्दा मिलता है | madmaheshwar hotel booking

यह फिर अपके पास एक और तरीका है | आप मंदिर के पास लगे कैंप में रुक सकते है | जिनका एक दिन का किरया 600 से 1000 रूपये तक होता है | लेकिन सीज़न के समय इनका किरया बदलता रहता है |

मध्यमहेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे |  How to Reach Madhyamaheshwar Temple

हवाई मार्ग: मध्यमहेश्वर मंदिर का सबसे पास का हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट है | जो मंदिर से लगभग 223 किमी दुरी पर स्थित है। हवाई अड्डे के बाहर से आपको कई टैक्सी किराए पर मिल जाती है | यह फिर आप बस से भी मध्यमहेश्वर जा सकते हैं।

ट्रेन मार्ग: मध्यमहेश्वर मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है | जो मध्यमहेश्वर से लगभग 205 किमी दूर है। रेलवे स्टेशन से, आप टैक्सी यह बस मिल जाएगी | जो आपको रुद्रप्रयाग के उनियाना गांव के लिए बस ले सकते हैं।

सड़क मार्ग: सड़क मार्ग आप उनियाना गांव सीधे जा सकते है | उनियाना गांव मध्यमहेश्वर मंदिर का ट्रेक शुरुआती बिंदु का केंद है | उत्तराखंड के प्रमुख शहरों जैसे ऋषिकेश, देहरादून और हरिद्वार से बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं। उत्तराखंड की खूबसूरत घाटियों से होते हुए उनियाना गांव की सड़क यात्रा बेहद खूबसूरत है। madmaheshwar kaise jaye

ट्रेकिंग मार्ग: मध्यमहेश्वर मंदिर का ट्रेक उनियाना गांव से ही शुरू होता है | यह ट्रेक लगभग 21 किमी का है। ट्रेक तोड़ा मुश्किल भार हुआ है | लेकिन यह सुंदर जंगलों, घास के मैदानों और झरनों से होकर गुजरता है। इस ट्रेक को पूरा करने में काम से काम 2 दिन समय लगते हैं | इस लिए पर्यटकों को बनटोली या नानू चट्टी में रात भर रुकना होता है। madmaheshwar trek

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